Tuesday, 29 December 2020

वाराणसी में खेती करने के लिए वैज्ञानिकों ने ड्रोन का सफलतापूर्वक उपयोग किया 


वाराणसी, दिसंबर २९: 
कृषि विज्ञान संस्थान, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के वैज्ञानिकों के समूहने वाराणसी में एक खेत में ड्रोन का बीजारोपण में सफलतापूर्वक उपयोग करके खेती में तकनीकी प्रगति का प्रदर्शन किया वैज्ञानिकों को २७,००० वर्ग फुट के बुवाई में सिर्फ १५ मिनट लगे। 

ड्रोन का उपयोग चावल-गेहूं की फसल प्रणाली के खेतों में किया गया जहां गीली मिट्टी के कारण ट्रैक्टर का उपयोग नहीं किया जा सकता था। चावल-गेहूं की फसल प्रणाली एक चक्रीय प्रणाली है जहां मिट्टी में पानी की मात्रा बढ़ा कर एरोबिक (ऑक्सीजन से युक्त) से एनारोबिक (ऑक्सीजन से रहित) से फिर से एरोबिक में परिवर्तित किया जाता है। चावल को खेत में स्थिर पानी की आवश्यकता होती है जो मिट्टी को अवायवीय बनाता है। गेहूं को नमी, हवा और गर्मी से संतुलित मिट्टी की आवश्यकता होती है। हवा की उपस्थिति मिट्टी एरोबिक बनाता है। प्रौद्योगिकी के उपयोग से खेती की लागत कम हो जाएगी, अन्य बाधाओं को हल किया जा सकेगा और किसानों की उत्पादकता और दक्षता में वृद्धि होगी।

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