Tuesday 28 July 2020


रेशम की डोर, सूत का धागा
भैया मेरा ले कर भागा!  
भैया आगे करो कलाई
पहले राखी, फिर मिठाई
आज मुझको नहीं चिढ़ाना
न ही अम्मा को सताना
घर आए हैं मामा देखो
उनसे सारी पारी ले लो!


साफ़ सुथरे कपडे पहन कर
पूजा करने आते हैं
तुम तो मुंह चिढ़ाते भैया
मामा प्यार जताते हैं
अम्मा उनको राखी बांधे तो
मामा का कंठ भर आता है
क्या सबको बड़े हो कर ही
बहन का प्यार याद आता है?

तुम मुझसे मिठाई चुराते हो
पापा बुआ को खिलाते हैं
लगता है कि बड़े हो कर
सब भाई सुधर ही जाते हैं!

- निधि अरोरा

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