कश्मीरी केसर, मणिपुर काले चावल, गोरखपुर टेराकोटा के लिए जीआई (GI) टैग
नई दिल्ली, 2 मई: जीआई ((GI)) या भौगोलिक संकेत एक ऐसा नाम या संकेत है जो कुछ उत्पादों पर उपयोग किया जाता है जो एक निश्चित भौगोलिक स्थान या मूल (origin) से सम्बन्ध (corresponds) रखते है। यह टैग उनकी विशिष्टता की रक्षा करता है क्योंकि इनमें से अधिकांश उत्पाद पारंपरिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।
कश्मीरी केसर ने इस टैग को अपनी अनूठी सुगंध और लंबी, मोटी किस्में के लिए पाया है।
चाक-हाओ, मणिपुर की एक काली चावल किस्म, गोरखपुर से टेराकोटा, जहां कुम्हार, विशेष शिल्प कौशल के साथ, हाथियों, घोड़ों आदि की पशु मूर्तियां बनाते हैं, और कोविलपट्टी की कदलाई मितई, जो की मूंगफली से बनी चिक्की या गुड़ की मिठाई होती है , भी जीआई टैग को हाल ही में प्राप्त कर चुके हैं।
नई दिल्ली, 2 मई: जीआई ((GI)) या भौगोलिक संकेत एक ऐसा नाम या संकेत है जो कुछ उत्पादों पर उपयोग किया जाता है जो एक निश्चित भौगोलिक स्थान या मूल (origin) से सम्बन्ध (corresponds) रखते है। यह टैग उनकी विशिष्टता की रक्षा करता है क्योंकि इनमें से अधिकांश उत्पाद पारंपरिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।
कश्मीरी केसर ने इस टैग को अपनी अनूठी सुगंध और लंबी, मोटी किस्में के लिए पाया है।
चाक-हाओ, मणिपुर की एक काली चावल किस्म, गोरखपुर से टेराकोटा, जहां कुम्हार, विशेष शिल्प कौशल के साथ, हाथियों, घोड़ों आदि की पशु मूर्तियां बनाते हैं, और कोविलपट्टी की कदलाई मितई, जो की मूंगफली से बनी चिक्की या गुड़ की मिठाई होती है , भी जीआई टैग को हाल ही में प्राप्त कर चुके हैं।
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