Wednesday 5 February 2020


‘घ’ से थे घनश्याम हमारे

स्कूल को आते थके ही हारे

बस्ता मोटा उठ नहीं पाता,

घन्नू तब था बस झल्लाता!

गणित में मानो बोलती बंद,

घनश्याम मुरारी दौड़ू चंद! 

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