Saturday, 14 September 2019

INS विक्रमादित्य हमारी नौसेना (नौसेना: सेना का वह भाग जो हमारे समुद्रतट की रक्षा करता है) का वह जहाज़ है, जिस पर से वायुयान (aeroplane) उड़ाए और उतारे जा सकते हैं. 
तेजस भारत में ही बना LCA - लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (लड़ाई का हल्का जहाज़) है, जिसे DRDO(डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन) ने बनाया है. DRDO हमारा वह अंग है, जो हमारी सभी सेनाओं की ज़रुरत का सामान भारत में डिज़ाइन और बनाने की कोशिश करता है. 


कल तेजस के नौसेना विमान के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन था. कल इस यान ने गोवा में बने एक टेस्ट सेण्टर (जहां हम नयी चीज़ों का परीक्षण करते हैं)  में लैंडिंग (जहाज़ का ज़मीन पर उतरना) करने की कोशिश की. यह परीक्षण सफल रहा. जहाज़ २४४ किलोमीटर से ० किलोमीटर (एकदम स्थिर) केवल २ सेकंड और ८७ मीटर में कर पाया। अगर आप कभी वायुयान से गए हैं, तो आपने देखा होगा कि उतरने में काफी सावधानी बरतनी पड़ती है. तेजस ने ये काम मात्र २ सेकंड में कर के  इतिहास रचा है. 

सैन्य यान हमारे यात्री विमानों से तेज़ गति पर चलते हैं. वे छोटे होते हैं, पर उन्हें कण्ट्रोल (नियंत्रित) करना आसान नहीं होता. 

अगला कदम क्या है ? 
तेजस नौसेनिक विमान के लिए अगला पड़ाव है - INS विक्रमादित्य के ऊपर उतर कर दिखाना। एक चलते समुद्री जहाज़ पर उतरना, सपाट सड़क पर उतरने से कहीं ज़्यादा कठिन होता है. पर हमें विश्वास है कि तेजस ये भी कर दिखायेगा, और जल्दी ही नौसेना में अपना स्थान पायेगा. 




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