गीली मिट्टी
बारिश की बूँदें पड़ते ही
मिट्टी की खुशबू आती है
संग अपने वह सुन्दर से
सपने अनेकों लाती है
सोचो अगर कुम्हार को
मिट्टी यह गीली मिल जाये तो
मटकी, हाँडी, गुड़िया, खिलोने,
क्या-क्या गज़ब कर जाये वो
कुम्हार सा है जीवन अपना
गीली मिट्टी जैसे हम
खुद ही बनना, खुद ही सँवरना
अपने हाथ में है यह दम
बारिश की बूँदें पड़ते ही
मिट्टी की खुशबू आती है
संग अपने वह सुन्दर से
सपने अनेकों लाती है
सोचो अगर कुम्हार को
मिट्टी यह गीली मिल जाये तो
मटकी, हाँडी, गुड़िया, खिलोने,
क्या-क्या गज़ब कर जाये वो
कुम्हार सा है जीवन अपना
गीली मिट्टी जैसे हम
खुद ही बनना, खुद ही सँवरना
अपने हाथ में है यह दम
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