Monday 18 February 2019

ओ हिंदी की बिंदी, तुम लगती किधर?
यह सोच कर हमको लगता है डर!
ये No और Know के हैं चक्कर बड़े, 
ना जाने क्यूँ ये हमारे पीछे पड़े!
ये अलजेब्रा, ये ज्योमेट्री, करे दिमाग का दही 
पता नहीं कब इन्हें कर पायेंगे सही! 
हिस्ट्री, जियोग्राफी, सिविक्स हैं ऐसे 
ना जाने लिख पाएं हम कब, कहाँ, कैसे 
केमिस्ट्री, फिजिक्स के फॉर्मूले ऐसे डराते 
बायोलॉजी को भी हम समझ नहीं पाते 
भगवान् जाने कब Exams होंगे ख़तम 
इन सब की पकड़ से आज़ाद होंगे हम 

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