हरा समंदर
गोपी चन्दर
बोल मेरी मछली,
कितना पानी?
पानी में हीरे,
पानी में मोती….
बात हमारी खत्म न होती,
राज़ समय का खुलता जाए
चिड़ियों का चम्बा उड़ता जाए…
गोपी चन्दर
बोल मेरी मछली,
कितना पानी?
पानी में हीरे,
पानी में मोती….
बात हमारी खत्म न होती,
राज़ समय का खुलता जाए
चिड़ियों का चम्बा उड़ता जाए…
0 comments:
Post a Comment