Wednesday, 5 August 2020

सरस सुबोधा विश्वमनोग्या ललिता हृद्या रमणीया
अमृतवाणी संस्कृतभाषा नैव कलिष्ठा न च कठिना

Saras Subodhaa Vishwamanogyaa Lalitaa RamaNiyaa
AmritVaani SanskritBhaashaa naiv kalishtha na cha kaThinaa

Meaning:
संस्कृतभाषा अमृत के समान है, सुरस है, सुबोध है। विश्वभर के लोगों के मन को जानने वाली है, मनोहर है, हृदय को स्वयं में रमाने वाली है। यह भाषा न क्लिष्ट है और न ही कठिन है ।

Sanskrit is like nectar, it is sweet and easy to understand. It expresses universal emotions in an endearing way. It is neither complex nor difficult.

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