Tuesday, 29 January 2019

दूर के को पास पहुंचावे 
तार बंधे पर नजर न आवे. 


का सखी, रिश्ता?
न सखी, फ़ोन!
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मन से उपजे, नैन बसावे,
याद करूँ तो याद ना आवे.
का सखी, बचपन ?
ना सखी, सपना!
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