जीवविज्ञानी ने पता लगाया कि छिपकली पानी के भीतर कैसे सांस लेती हैं
टोरोन्टो, मई १५: टोरंटो विश्वविद्यालय के विकासवादी जीवविज्ञानियों के एक समूह (विशेषज्ञ जो विकासवादी प्रक्रियाओं से निपटने वाले विज्ञान के एक वर्ग का अध्ययन करते हैं जो पृथ्वी पर वर्तमान जीवन की ओर ले जाती हैं)
ने खोजा कि पानी के नीचे छिपकली कैसे सांस लेती है। करंट बायोलॉजी में प्रकाशित उनके संशोधन के अनुसार, छिपकलियों की एक प्रजाति जिसे अर्ध-जलीय एनोल कहा जाता है, जो उष्णकटिबंधीय अमेरिका (कैरेबियन द्वीप समूह और लैटिन अमेरिका) में पायी जाती है, वह पानी के अंदर सास लेती है। ये छिपकलियां जो हवा छोड़ती हैं तब वो एक बुलबुले में फंस जाती है और उनके वह बुलबुला उनके सिर से जुड़ जाता है। वे थोड़ी देर बाद बुलबुलों से हवा अंदर लेते हैं। शोधकर्त्ता ने बुलबुलों में हवा की ऑक्सीजन सांद्रता का अवलोकन किया और देखा कि यह समय के साथ कम हो गया। यह अवलोकन दिखाता है कि छिपकलियां पानी के नीचे सांस लेती हैं और बुलबुले में हवा का पुन: उपयोग करती हैं, जब तक इसमें मौजूद ऑक्सीजन का पूरी तरह उपयोग नहीं हो जाता है, जो उन्हें लंबे समय तक पानी के नीचे चलने में मदद करता है।
Image of an anole
Image credit:pixabay |
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