माचिस की डिब्बी जैसे प्रायोगिक उपग्रह को नाम दिया इंडियन सैट
चेन्नई, 15 अक्टूबर: तमिलनाडु के करूर के तीन युवा स्नातक छात्रों ने नासा के सहयोग से आयोजित एक प्रतियोगिता के लिए एक प्रायोगिक उपग्रह को डिजाइन किया और विकसित किया। समुद्र में उतरने से पहले कुछ मिनटों के लिए इसे नासा द्वारा एक उप- कक्षीय अंतरिक्ष उड़ान(sub-orbital space flight) में लॉन्च किया जाएगा।
उपग्रह reinforced graphene polymer से बना है (ग्राफीन एक बहुत ही पतली लेकिन मजबूत सामग्री है जिसमें छह-तरफा आकृतियों के पैटर्न में व्यवस्थित कार्बन परमाणुओं की एक परत होती है)। यह बहुत छोटा है, आकार में केवल 3 सेमी है, एक माचिस की डिब्बी के बराबर और इसका वजन 64 ग्राम है। इसे इंडियन सैट नाम दिया गया है।
उपग्रह का पृथ्वी से बाहरी अंतरिक्ष के संकेतों को प्राप्त करने और संचारित करने के लिए अपना रेडियो आवृत्ति संचार (radio frequency communication)है। यह अपने अंदर लगे सोलर सेल से बिजली से उत्पन्न करता है। यह माइक्रोग्रैविटी (एक ऐसी स्थिति जहां गुरुत्वाकर्षण बहुत कम है) में प्रबलित ग्राफीन पॉलिमर(reinforced graphene polymers) के प्रभाव का अध्ययन करेगा।
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