अमेरिका ने गूगल के खिलाफ दावा किया
दिल्ली, अक्टूबर २१: अमेरिका की सरकार ने गूगल के खिलाफ़ मुकदमा दायर किया है। इस मुक़दमे की कुछ जानकारी नीचे दी गयी है :
- जब कोई एंड्राइड फ़ोन खरीदता है, तो उस फ़ोन पर जो सर्च इंजन है, वह गूगल का होता है। कुछ किस्सों में फ़ोन निर्माता फ़ोन में अन्य कोई सर्च इंजन नहीं डाल सकते।
- यूएस का ८०% सर्च ट्राफिक गूगल के पास है।
- यूएस के नियामकों को यह लगता है कि इससे गूगल को सर्च इंजन उद्योग में एकाधिकार (मोनोपोली) मिलता है।
- इस आरोप के जवाब में गूगल ने कहा है कि वह किसी भी उपयोगकर्ता को अन्य सर्च इंजन पर जाने से नहीं रोकता है।
- गूगल के हिसाब से लोगों को कम कीमतों में फ़ोन मिलते है, क्यूंकि गूगल एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम का कोई चार्ज नहीं लेता।
ऑपरेटिंग सिस्टम वह मूलभूत प्रोग्राम है, जिसके ज़रिये हम लैपटॉप, टेबलेट, मोबाइल फ़ोन का उपयोग कर सकते है। फ़ोन के लिए मुख्य ऑपरेटिंग सिस्टम्स है iOS और एंड्राइड। iOS Apple द्वारा विकसित किया गया है। सिर्फ Apple के उपकरण iOS पर है और सारे Apple उपकरण ही iOS पर है। दूसरी ओर एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम मुख्यतः अन्य सभी फ़ोन - सैमसंग, Xiaomi , वीवो, मिक्रोमैक्स और अन्य सभी फ़ोन पर है। दुनिया के ७५-८५% फ़ोन एंड्राइड से चलते है।
- गूगल के फ़ोन निर्माताओं के साथ करार है, जिसके अंतर्गत वे एंड्राइड फ़ोन में अन्य सर्च इंजन नहीं डाल सकते। गूगल का कहना है कि इस करार से उसे कोई फायदा नहीं है। लेकिन सरकार को सिर्फ मोनोपोली साबित करनी है, उससे फायदा हुआ या नहीं, वो नहीं।
- गूगल के खिलाफ मोनोपोली की वजह से मुकदमा दायर हुआ हो, ऐसा पहले भी हुआ है। युरोपियन यूनियन गूगल से अंदाजित ९ बिलियन डॉलर्स जुर्माने के तौर पर ले चूका है।
- अमेरिका ने भी किसी कंपनी के खिलाफ मोनोपोली की वजह से दावा किया हो, ऐसा पहली बार नहीं है। वह १९७४ में AT&T के खिलाफ सफल दावा कर चूका है और १९९८ में माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ। दोनों मुक़दमे अमेरिका ने जीते है।
- यह मुकदमा देश की ओर से न्याय विभाग ने मंगलवार को दायर किया।
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