Wednesday, 9 January 2019

Chetak - the horse of Maharana Pratap

रण बीच चौकड़ी भर भर कर,
चेतक बन गया निराला था 
राणाप्रताप के घोड़े से 
पड़ गया हवा का पाला था 


जो तनिक हवा से बाग हिली 
लेकर सवार उड़ जाता था 
राणा की पुतली फिरी नहीं
तब तक चेतक मुड़ जाता था 


- श्यामनारायण पांडेय की कविता "चेतक की वीरता" से 

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